कोरोना संकट के दौर और भी बड़ा खतरा है सामने,कई देश इसकी चपेट में आयेंगे,संयुक्त राष्ट्र ने दी चेतावनी


नई दिल्ली: कोरोना संकट से जारी लड़ाई हर दिन नई चुनौती लेकर आ रही है. चुनौती सिर्फ संक्रमित मरीज़ों के इलाज की नहीं है बल्कि संक्रमण की चेन तोड़ने की भी है. दुनिया के सभी देश इस महामारी से जीतने की कोशिशों में जुटे हैं लेकिन संयुक्त राष्ट्र ने अब कोरोना को लेकर नई चेतावनी जारी की है. विश्व खाद्य कार्यक्रम के प्रमुख ने दावा किया है कि कोरोना महामारी भुखमरी भी फैलाएगी जिससे दुनिया में 25 करोड़ से ज़्यादा लोग प्रभावित हो सकते हैं. 


हर बीतते दिन के साथ और गंभीर होते जा रहे कोरोना संकट ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया है. सुपर पावर अमेरिका से लेकर चीन, स्पेन, ब्रिटेन और इटली जैसे देशों की अर्थव्यवस्थाओं को भी कोरोना वायरस ने जोरदार झटका दिया है. कई देशों की आर्थिक स्थिति तो इस कदर हिल गई है कि अब वहां या तो खाने की दिक्कत पैदा होने लगी है या फिर भविष्य में पैदा होने का संकट मंडराने लगा है. 


कोरोना के इसी संकटकाल में संयुक्त राष्ट्र के विश्व खाद्य कार्यक्रम प्रमुख डेविड बेस्ले ने बड़ी चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि कोरोना का संकटकाल भविष्य में पूरी दुनिया के सामने भुखमरी या अकाल जैसी समस्या खड़ी कर सकता है. डेविड बेस्ले के मुताबित कोरोना वायरस की वजह से पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्थांए इस कदर कमज़ोर हो जाएंगी कि लगभग हर देश में रहने वाले कमज़ोर और पिछड़े लोगों पर ये संकट आ खड़ा होगा.  


संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक भुखमरी का सबसे संकट यमन, कांगो, नाइजीरिया, हैती, इथियोपिया और सूडान जैसे गरीब देशों में रहने वाला है ... जबकि अफगानिस्तान, वेनेजुएला, सीरिया जैसे देशों में भी इसका असर देखने को मिलेगा । दरअसल WFP ने अपनी ग्लोबल रिपोर्ट ऑन फूड क्राइसिस में बताया है कि जारी की है. 
रिपोर्ट में कहा गया है:
- कोरोना महामारी की वजह से कई देशों में अकाल पड़ने का खतरा है 
- संकट से निपटने के लिए अभी से तैयारी जरूरी है.
- दुनिया के लगभग 26.5 करोड़ लोग भुखमरी की कगार पर होंगे.
- अकाल का असर गरीब और विकासशील देशों के लोगों पर ज़्यादा. 
- 10 देश जिनमें संघर्ष, आर्थिक संकट और जलवायु परिवर्तन की स्थिति वहां भी संकट है.
- दुनिया के 30 से ज्यादा देशों में अकाल का संकट देखने को मिल सकता है. 
- कोरोना से पहले भी पूर्वी अफ्रीका और दक्षिण एशिया में खाद्य संकट मौजूद है.


मौजूदा संकट में यूएन की चेतावनी इसलिये ज़्यादा गंभीर कही जा सकती है क्योंकि आमतौर पर जब-कभी भी गरीब देशों पर ऐसा संकट आया है. अमेरिका, इंग्लैंड जैसे विकसित और अमीर देश मदद के लिये आगे आए हैं लेकिन कोरोना काल में बड़ी-बड़ी महाशक्तियों की अर्थव्यवस्थाएं भी डगमगा गई हैं.  


कुछ ही दिन पहले अमेरिका के पेन्सिलवेनिया से आई तस्वीरें अमेरिका के मौजूदा हालात की कहानी बयां करती हैं. यहां ज़रूरतमंदों को मिलने वाले मुफ्त खाने के पैकेट पाने के लिए लोगों की लंबी-लंबी कतारें देखने को मिलीं थीं. हालांकि अलग-अलग देशों की सरकारों ने अपने देश के लिए राहत पैकेज की घोषणा की है लेकिन संकट सिर्फ भुखमरी का ही नहीं है. इससे पहले WHO के डायरेक्टर डॉ. टेड्रोस भी दुनिया को आने वाले बड़े खतरे के लिए तैयार रहने को कह चुके हैं. 


साफ है कोरोना संकट आने वाले दिनों में देशों की आर्थिक स्थिति से लेकर स्वास्थ्य व्यवस्था सभी को झकझोरने के वाला है जिससे निपटने के लिए अभी से तैयारी नहीं की गई तो हालात को बद से बदतर होते देर नहीं लगेगी. वहीं कोरोना से सिर्फ भुखमरी ही नहीं करोड़ों लोगों की नौकरी पर भी खतरे का अंदेशा खड़ा कर दिया है. अमेरिका में तो पिछले कुछ हफ्तों में 2 करोड़ से ज्यादा लोगों ने बेरोजगारी भत्ते के लिए आवेदन दिया है.  
कोरोना से आएगी महामंदी!
कोरोना वायरस की वजह से दुनिया ने लॉकडाउन का वो दौर देखा है जो ना पहले कभी सोचा गया था. ना कभी दिखा था. विकसित देशों से लेकर विकासशील देशों तक सब वायरस के आगे बेबस हैं. कोरोना की वजह से दुनिया के ज्यादातर उद्योग-धंधे ठप पड़े हैं. शेयर बाजारों में जबरदस्त गिरावट का दौर है और कई लोगों के सामने अभी से रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. यह स्थिति बद से बदतर हो सकती है. 


साथ ही आर्थिक विश्लेषकों ने आशंका जताई है कि दुनिया गंभीर आर्थिक मंदी का शिकार हो सकती है. ऐसे वक्त में ऑक्सफैम की चेतावनी ने और चिंता बढ़ा दी है। ऑक्सफैम के मुताबिक कोविड-19 संकट से निपटने के लिए गंभीर कदम नहीं उठाए गए तो आने वाली मंदी दुनिया के करीब आधे अरब लोगों को गरीबी में धकेल देगी। यह दुनिया की 8 फीसद आबादी है.
दुनियाभर में 50 करोड़ से ज्यादा नए गरीब जुड़ जाएंगे
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना संक्रमण का कहर झेल रहे गरीब देशों को बेलआउट पैकेज मुहैया नहीं करवाए गए तो दुनियाभर में 50 करोड़ से ज्यादा नए गरीब जुड़ जाएंगे. रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में इस वक्त गरीबों की आबादी 300 करोड़ से ज्यादा है जिसमें कोरोना महामारी और लॉकडाउन की वजह से करीब 20 प्रतिशत का इजाफा हो जाएगा और जबतक दुनिया इस महामारी से उबरेगी, तबतक दुनिया की 780 करोड़ में से करीब आधी आबादी, गरीबी के दलदल में फंस चुकी होगी. इस महामारी का सबसे ज्यादा असर सब-सहारा अफ्रीकी देशों पर पड़ेगा जहां गरीबी रोकने की लड़ाई 30 वर्ष पीछे चली जाएगी. 


संयुक्त राष्ट्र के International Labour Organisation ने दुनियाभर में लॉकडाउन की वजह से जाने वाली नौकरियों को लेकर जो चेतावनी जारी की है वो और भी ज्यादा गंभीर है । इस रिपोर्ट में कहा गया है कि लॉकडाउन की वजह से अकेले भारत में अनौपचारिक क्षेत्र में काम करने वाले 40 करोड़ श्रमिकों के गरीबी में फंसने की आशंका है. 


दुनियाभर में अनौपचारिक क्षेत्र में काम करने वाले दो सौ करोड़ लोगों के सामने भी रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो जाएगा. इतना ही नहीं, दुनियाभर में साढ़े 19 करोड़ लोगों की पूर्णकालिक नौकरी यानी फुल टाइम जॉब छूट सकती है. इसके अलावा भी कई रिपोर्ट्स सामने आई हैं जो ये कहती हैं कि कोरोना 30 साल तक की तरक्की को खत्म कर सकता है. इतना ही नहीं IMF यानी इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड ने दुनिया की आर्थिक विकास को लेकर बड़ी भविष्यवाणी कर चुका है.