दारुल उलूम ने जारी किया फतवा, गुमराही का रास्ता छोड़ मौलाना साद कांधलवी करे गुनाहों से तौबा



सहारनपुर के देवबंद के दारुल उलूम ने तबलीगी जमात के मरकज (हजरत नविजामुद्दीन) के जिम्मेदार मौलाना साद कांधलवी के गैर जिम्मेदाराना बयानों पर नाराजगी का इजहार किया।





कड़ा रुख अपनाते हुए फतवा जारी कर यह साफ कर दिया है कि मौलाना साद कांधलवी जमहूर (जिन बातों पर उलेमा एक मत हैं) व बड़े उलेमा के रास्ते से हटते जा रहे हैं। जो गुमराही वाला रास्ता है इसके लिए उन्हें तौबा करनी चाहिए। 


काफी समय से मौलाना साद कांधलवी शरई मसलों पर गलत बयानबाजी कर रहे थे। मामला संज्ञान में आने के बाद दारुल उलूम व अन्य उलेमा लगातार उन्हें बाज आने की नसीहत दे रहे थे।


विगत दिनों भी उन्होंने भोपाल में आयोजित हुए तीन दिवसीय तबलीगी इज्तमा में गैर शरई बयान दिया था। जिसमें उन्होंने कहा कि मक्का मुकर्रमा और मदीना (सऊदी अरब) के बाद दुनिया में सबसे इज्जत और बड़ाई वाला स्थान मरकज हजरत निजामुद्दीन है।


उन्होंने बयान में यह भी कहा कि दीन की कोई भी समस्या छोटी या बड़ी वह इस संबंध में हजरत निजामुद्दीन से ही संपर्क करें। उनके इस बयान के बाद दुनियाभर में रहने वाले मुसलमानों और तबलीगी दुनिया में बैचेनी पैदा कर दी थी। 


दारुल उलूम सोमवार की रात स्पष्टीकरण व फतवा जारी कर कहा कि मौलाना साद कम इल्मी होने के कारण अपनी वैचारिक व कुरआन हदीस की व्याख्या करने में जमहूर अहले सुन्नत (जिन बातों पर उलेमा एक मत हैं) तथा असलाफ (बड़े उलेमा) के रास्ते से हटते जा रहे हैं।


जो बिला शुबह गुमराही का रास्ता है। इसके लिए उन्हें तौबा करनी चाहिए। उधर,  गैर जिम्मेदाराना व गैर शरई बयान देने के बाद चर्चाओं में आए मौलाना साद कांधलवी ने एक प्रतिनिधिमंडल को दारुल उलूम भी भेजा था।


प्रतिनिधिमंडल में शामिल लोगों ने मौलाना साद की तरफ से गलती कबूल करने तथा लिखित में देनी की बात कही थी। लेकिन दारुल उलूम को प्राप्त लिखित माफीनामे से उलेमा संतुष्ट नहीं हुए। जिसके बाद दारुल उलूम ने कड़ा रुख अख्तियार करते हुए मौलाना साद के खिलाफ फतवा जारी किया