फ्लोर टेस्ट टला,मगर नहीं टली कमलनाथ की मुसीबत,अभी संकट बरकरार है


मध्य प्रदेश में सियासी संकट से घिरी कमलनाथ सरकार के लिए विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति ढाल बन गए हैं. राज्यपाल लालजी टंडन के फ्लोर टेस्ट कराने के निर्देश को स्पीकर ने नजरअंदाज करते हुए सदन को 26 मार्च तक के लिए स्थगित कर दिया है. ज्योतिरादित्य सिंधिया गुट के 22 कांग्रेसी बागी विधायकों में से छह का इस्तीफा मंजूर कर लिया गया है, जिसके बाद से कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गई है. ऐसे में बहुमत का सियासी गणित भी बदल गया है.


सियासी संकट से पहले का समीकरण


कांग्रेस-----------------114


बीजेपी-----------------107


बसपा----------------- 2


सपा ------------------1


निर्दलीय------------- 4


रिक्त सीटें----------- 2


बहुमत के लिए आंकड़ा 116 चाहिए


संकट के बाद सदन का समीकरण


मध्य प्रदेश में विधानसभा की कुल 230 सीटें हैं और इसमें से दो सीट खाली है, जिसके बाद कुल संख्या 228 है. सिंधिया की बगावत के साथ अब तक 22 कांग्रेस विधायकों ने इस्तीफा भेजा है. इनमें 6 बागी कांग्रेस विधायकों का इस्तीफा मंजूर कर लिया गया है. इस तरह कांग्रेस के विधायकों का आंकड़ा 108 पहुंचता है, जिनमें से अभी भी 16 विधायक बागी हैं. ऐसे में इन 16 विधायकों का इस्तीफा मंजूर कर लिया जाता है तो कांग्रेस विधायकों का 92 का आंकड़ा है. इस तरह से कुल संख्या 222 है.
फिलवक्त कमलनाथ सरकार का साथ दे रहे चार निर्दलीय, दो बसपा और एक सपा विधायक अपना समर्थन बनाए रखते हैं तो यह आंकड़ा 99 पर पहुंचता है. वहीं, बीजेपी के पास अपने 107 विधायक हैं. कांग्रेस के बागी बचे 16 विधायक अगर ऐसा ही रुख अख्तियार करते हैं तो कमलनाथ सरकार का गिरना तय है. हालांकि कमलनाथ सरकार बचाए रखने के लिए अपने बागी विधायकों को मनाने में जुटी है.


मौजूदा विधानसभा का गणित


कुल सीट-230-2 (रिक्त सीट)-6 (कांग्रेस के बागी) के बाद कुल संख्या 222 है.


बहुमत के लिए चाहिए 112 विधायक


कांग्रेस विधायक- 114-22 (कांग्रेस के बागी)- 92


बीजेपी--------------107


निर्दलीय ------------04


बसपा -------------02


सपा ------------ 01


बता दें कि साल 2018 में कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस ने 4 निर्दलीय, 2 बीएसपी और एक एसपी विधायक के समर्थन से कुल 121 विधायकों के साथ सरकार बनाई थी. लेकिन अब ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत के बाद विधानसभा के आंकड़ों की तस्वीर बदल चुकी है. अगर मौजूदा परिदृश्य की बात करें तो कांग्रेस के पास सरकार बचाने का जादुई आंकड़ा भी नहीं रह गया है.


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