होली की आग में नफ़रतें सारी जला दो आज !
चाहते हो यदि मुल्क में अपने भाईचारा तुम !!
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किसी से गले मिलना भी कठिन हो गया होली में !
कोरोना वायरस की दहशत इस कदर समाई है !!
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हमारी तहजीब रोकती है हमें किसी की खिल्ली उड़ाने से !
वैसे तो इंसानियत का कत्ल हो रहा है मुल्क में आए दिन !!
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मैं कहां कहता हूं तुम मेहमान बन कर आओ !
हमारे पास तुम्हारी यादों का गुलदस्ता है !!
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किसी के मुश्किल वक्त में तुम साथ दे कर देखो !
दिल को मिलेगा बहुत ही सुकून कोई शक नहीं है !!
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ज़मीन जायदाद नाम व इज़्ज़त यहीं एक दिन छोड़ जाना है !
यार इंसानियत से मुंह मोड़ना दुनिया के लिए अच्छा नहीं !!
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बड़ी ख्वाहिश थी तुम्हें शहर के रईसों से मिलने की !
क्या हुआ जो एक ही रईस से मिल तुम ठंडे हो गए !!
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मैं उन्हें कैसे अपने दिल के करीब लाता !
उन्हें तो दिल तोड़ने की आदत पड़ी है !!
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तमाम मसाइल ज़िंदगी के यूं ही ही हल हो गए होते !
बड़े बुजुर्गों की बातें दिल से अगर तुम स्वीकार करते !!
************************* तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु कवि व मंच संचालक अंबेडकरनगर !! मोबाइल नंबर -9450489518
होली की आग में नफ़रतें सारी जला दो आज -- कवि तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु