बस्ती में पुलिसिया लापरवाही की भयावह तस्वीर, ये हत्या है या आत्महत्या..अभी जांच जारी है.



 बस्ती - जनपद के गौर रेलवे स्टेशन के पास अभी हाल के दिनों में अधिवक्ता आदर्श दुबे की लाश क्षत विक्षत हालत में मिली थी। जिसको लेकर परिजन एफआईआर के लिए जीआरपी और बस्ती पुलिस के चक्कर काटते रहे, लेकिन उनकी कही भी सुनी नही गई। इससे साफ तौर पर जाहिर होता है कि बस्ती में कानून-व्यवस्था कितनी दुरूस्त है। यह पुलिसिया व्यवस्था पर भी सवालिया निशान खड़े कर रहे हैं कि आखिर अभी तक इस मामले को लेकर एफआईआर क्यों नहीं दर्ज की गई है? 




वहीं, अधिवक्ता अजय त्रिपाठी के अनुसार हत्या वाले दिन हम सभी को एक साथ एक निजी कार्यक्रम में जाना था और आदर्श दुबे हम सभी से यह कह कर गए थे कि अभी हम थोड़ी ही समय मे घर से तैयार होकर आते है। फिर साथ ही कार्यक्रम में चलेंगे। मोबाइल पर लगातार हमारी बात उनसे होती रही, लेकिन अचानक तकरीबन शाम 7 बजे ही उनका मोबाइल स्विच ऑफ जाने लगा। फिर दोबारा उनसे संपर्क नही हुआ। अचानक दूसरे दिन सुबह जब यह सूचना मिली उनकी डेड बॉडी गौर रेलवे पटरी पर क्षत विक्षत हालत में मिली है तो यह सुनकर सभी के पैरों तले जमीन खिसक गई। अधिवक्ता अजय त्रिपाठी ने बताया कि घटनास्थल का, जो दृश्य था, उसे देख ऐसा लगा रहा था कि मानो किसी ने उनके मोबाइल को किसी ठोस वस्तु से तोड़ दिया हो। प्रथम दृष्ट्या वह दृश्य देखकर ऐसा लग रहा था कि उन्होंने आत्महत्या नहीं, बल्कि उनकी हत्या की गई थी। अधिवक्ता ने मांग कि है कि एफआइआर दर्ज हो और उसकी जांच किसी तेज़तर्रार अधिकारी से करवाई जाए।


वहीं, इस मामले को लेकर जब एएसपी पंकज पाण्डेय से बात की गई तब उन्होंने बताया की कुछ अधिवक्ताओं के द्वारा अधिवक्ता आदर्श दुबे के हत्या के सम्बध में एक तहरीर दी गई, जिसको हम जीआरपी एसपी और संबंधित थानों पर भेज देंगे। बस्ती जीआरपी द्वारा इस मामले में पोस्टमार्टम कराया गया है। साथ ही जो भी वैधानिक करवाई होगी वो की जाएंगी। फिलहाल अधिवक्ता आदर्श दुबे ने आत्महत्या की थी या फिर उनकी हत्या की गई थी। ये तो फिलहाल जांच का विषय है। इस पूरे मामले की तस्वीर तो आने वाले दिनों में ही साफ हो पाएगी।