मंज़िल की तमन्ना ने सोने न दिया हमको -- कवि तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु

 अंबेडकरनगर साहित्य संगम के रचनाकारों द्वारा एस एस कोचिंग सेंटर एंड कंप्यूटर इंस्टीट्यूट शहजाद पुर अकबरपुर अंबेडकर नगर में एक भव्य कवि गोष्ठी का आयोजन हुआ ! कोचिंग संस्थान के प्रबंधक श्याम कुमार कनौजिया के संयोजन व तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु के संचालन में कवि गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि राम चंद्र द्विवेदी सरल ने की ! प्रबंधक श्याम कुमार कनौजिया द्वारा मां सरस्वती की पूजा एवं माल्यार्पण के साथ गोष्ठी का शुभारंभ हुआ ! बाराबंकी के कवि कौशल सिंह सूर्यवंशी द्वारा वाणी वंदना प्रस्तुत की गई ! जहांगीरगंज से आए गीतकार संतोष श्रीकंठ ने पढ़ा -- उसकी आंखों की भंवर में कितने समंदर डूब गए ! हम डूबे तो क्या डूबे कितने कलंदर डूब गए ! टांडा से आए कवि प्रदीप माझी ने पढ़ा -- मौसम अब सुहाना हो गया है ! गिले-शिकवे सब पुराना हो गया है !! अकबरपुर के कवि संजय सवेरा ने पढ़ा -- ज़माने में अजब झोल करते हैं ! दो ध्रुव को मिलाने का खेल करते हैं !बाराबंकी के कवि कौशल सिंह सूर्यवंशी ने पढ़ा -- हर कदम हर मोड़ पर तुम हमें मिलते गए ! साथ पाकर हम भी तेरा फूल सा खिलते गए !! जलालपुर के शायर साबिर जलालपुरी ने पढ़ा -- रात होते ही चमकने को चले आते हैं ! जुगनू को भी खबरदार समझना होगा !! संचालक तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु ने पढ़ा -- मंज़िल की तमन्ना ने सोने न दिया हमको ! हां - बीज नफ़रतों के बोने न दिया हमको !! महरुआ से आए कवि रामचंद्र द्विवेदी सरल ने पढ़ा -- लूटो बेटा मिलकर लूटो लूटो पूरा देश ! कहीं बनाओ वेश तू नेता कहीं जोगी का वेश !! अध्यक्षीय काव्य पाठ के साथ ही कवि सरल द्वारा संयोजक - आयोजक के प्रति आभार व्यक्त करते हुए गोष्टी का समापन हुआ !! 

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