सपने देखने का शौक़ अगर तुमको है तो मेरा मशवरा है -- कवि तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु

 


तुम्हारे सपने भी हक़ीक़त में बदल जाएंगे एक दिन ! 

जहां तक हो सके तालीम और हुनर को हासिल कर लो !! 

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सपने देखने का शौक़ अगर तुमको है तो मेरा मशवरा है ! 

सपने को हक़ीक़त में बदलने का तजुर्बा मुझसे ले लो !! 

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बचपन से लेकर अब तक बहुत कुछ हासिल किया है मैंने ! 

यक़ीन ना हो तुमको तो मेरे पड़ोसियों से जायज़ा ले लो मेरा !! 

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दुआ करो खुदा से मेरे सारे सपने साकार हो जाएं ! 

तुम्हारे सपनों के हिफ़ाज़त की ज़िम्मेदारी मेरी होगी !! 

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 तजुर्बा है मेरा अपने सपने को अपने तक ही सीमित रखो !

तमाम शख़्स ऐसे हैं जिन्हें दूसरों की तरक्क़ी पसंद नहीं !! 

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बड़ा खुशनसीब है वो जिसे दुआएं हासिल हो लोगों की ! 

दुआएं हासिल कर आप सपनों का महल बना सकते हैं !! 

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कोई ज़रूरी नहीं कि हर रात आपकी आंखों में सपने आएं ! 

बिन सपने वाली रातों में बड़ा सुकून मिलता है लोग कहते हैं !! 

**************** तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु कवि व मंच संचालक अंबेडकर नगर उत्तर प्रदेश !