अब तुम्हें भी दुनियादारी का सच सुनना होगा -- कवि तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु


 दुनियादारी से कब तक भागते फिरोगे तुम ! 

ज़िंदगी जीनी है तो दुनियादारी सीख जाओ !! 

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दुनियादारी का हर किस्सा सुना रहे हो बच्चे को ! 

बच्चा बड़ा होकर खुद दुनियादारी सीख जाएगा !! 

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दुनियादारी में ही ज़िंदगी का तजुर्बा है ! 

तजुर्बा नहीं तो ज़िंदगी में रौनक नहीं !! 

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चाहते हो रिश्ते रहें सही सलामत इस दुनिया में ! 

दुनियादारी का हर अध्याय सीखते चलो तुम !! 

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दुनियादारी से दूर होना अच्छा नहीं ! 

दुनियादारी ज़रूरत है ज़िंदगी की !! 

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दुनियादारी का कोई तजुर्बा तो नहीं रहा मुझ में ! 

नतीजा यह निकला कि ज़िंदगी बोझिल हो गई !! 

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तुम्हारे साथ का सफ़र भूलना आसान नहीं ! 

बड़े तजुर्बे हासिल हुए मुझको इस सफ़र में !! 

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तुम्हारी जीत का क़िस्सा बहुत देर तक सुना मैंने !

अब तुम्हें भी दुनियादारी का सच सुनना होगा !! 

******************तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु कवि व मंच संचालक अंबेडकरनगर उत्तर प्रदेश !