दुनियादारी से कब तक भागते फिरोगे तुम !
ज़िंदगी जीनी है तो दुनियादारी सीख जाओ !!
*************************
दुनियादारी का हर किस्सा सुना रहे हो बच्चे को !
बच्चा बड़ा होकर खुद दुनियादारी सीख जाएगा !!
*************************
दुनियादारी में ही ज़िंदगी का तजुर्बा है !
तजुर्बा नहीं तो ज़िंदगी में रौनक नहीं !!
*************************
चाहते हो रिश्ते रहें सही सलामत इस दुनिया में !
दुनियादारी का हर अध्याय सीखते चलो तुम !!
*************************
दुनियादारी से दूर होना अच्छा नहीं !
दुनियादारी ज़रूरत है ज़िंदगी की !!
************************
दुनियादारी का कोई तजुर्बा तो नहीं रहा मुझ में !
नतीजा यह निकला कि ज़िंदगी बोझिल हो गई !!
*************************
तुम्हारे साथ का सफ़र भूलना आसान नहीं !
बड़े तजुर्बे हासिल हुए मुझको इस सफ़र में !!
*************************
तुम्हारी जीत का क़िस्सा बहुत देर तक सुना मैंने !
अब तुम्हें भी दुनियादारी का सच सुनना होगा !!
******************तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु कवि व मंच संचालक अंबेडकरनगर उत्तर प्रदेश !