कविता लिखना - पढ़ना हर किसी के वश में नहीं !
कविता लिखने - पढ़ने को ज़िंदा ज़मीर चाहिए !!
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यूं कविता को मनोरंजन का विषय बनाना ठीक नहीं !
कविता जो समाज को आईना दिखाए उसे अच्छी समझो !!
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यूं क्या पूछते हो मुझसे मेरी कविता का भविष्य तुम !
मेरी कविता दिल लगाकर सुनो तो शायद जान जाओ !!
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यूं तो इस दौर में कवियों की बहुत भीड़ है !
एक सच है मगर चंद लोग लिखते हैं कविता !!
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तुम्हारी कविता सुनकर ऐसा लगता है !
हमें ख़ुशी से ताली बजा देनी चाहिए !!
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यूं तो लिख रहे हो कविता बड़े शौक से तुम !
शौक से कविता पढ़ी भी जाए तो अच्छा है !!
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कविताओं का बाज़ार खोज रहा है बहुत दिनों से वह !
ताज्जुब है अभी तक कविताओं का बाज़ार मिला नहीं उसे !!
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बड़ी हैरत है मुझको कवियों का सच कहूं भी तो किससे !
कविता लिखने वालों को भी औरों की कविता सुनना पसंद नहीं !!
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अपनी कविताओं में आम आदमी का दर्द बयां कर दो तुम !
मेरा वादा है तुम्हारी कविताओं का बाज़ार बन जाएगा !!
******************तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु कवि व मंच संचालक अंबेडकरनगर उत्तर प्रदेश !