तेरे आंचल की खुशबू बस गई है रग-रग में मेरे !
भला तेरे आंचल की क़ीमत मैं चुकता करूं कैसे !!
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तेरा आंचल मेरे मन की दवा बन जाएगा !
शर्त है अपना आंचल हवा में लहरा दो तुम !!
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तेरा आंचल मुझको दुआ देने के लिए काफ़ी है !
काश अपने आंचल में एक बार छुपा लो मुझको !!
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तेरा आंचल बहुत क़ीमती है मेरे लिए !
दवा और दुआ के लिए मिली हो तुम !!
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खुद को इतना कमजोर क्यों समझती हो !
तुम्हारे आंचल में दुनिया की हर दौलत है !!
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तुम्हीं बताओ मैं तुम्हारी खूबियों का ज़िक्र करूं कैसे !
तुम्हारे आंचल की छांव में बड़ा सुकून मिलता है मुझको !!
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तुम्हें हमारी खूबियों का एहसास हो जाएगा !
सर से जिस दिन मेरा आंचल उतर जाएगा !!
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बड़ी कद्र करता हूं मैं तेरे आंचल की !
इसकी छांव में मेरे बच्चों की खुशियां हैं !!
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कद्र क्यों नहीं करते किसी मां के आंचल की !
मां का आंचल ही तुम्हें इस मुक़ाम पर लाया है !!
*****************तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु कवि व मंच संचालक अंबेडकरनगर उत्तर प्रदेश !