तुम्हें दिल की आरज़ू बताने से भी कुछ फ़ायदा नहीं हमको !
मैं सच कहूं तो तुम्हें इंसानियत नहीं सौदागर की ज़रूरत है !!
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आ गए हो मेरे आशियाने तो कुछ वक्त ठहर जाओ !
मेरे दिल की आरज़ू सुन क्या पता खुशी मिले तुमको !!
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हमारी मोहब्बत में एक किरदार तुम्हारा भी शामिल है !
मेरे दिल की आरज़ू का शायद कुछ अंदाज़ा नहीं तुमको !!
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तुम्हारे शहर की हर हवेली में कोई न कोई कारोबार होता है !
मेरे दिल की आरज़ू का यहाँ मतलब नहीं कुछ भी !!
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महकते रहो फूलों की तरह इस चमन में यारों !
मेरे दिल की आरज़ू यही है तुम्हें मुस्कुराता देखूं !!
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हमारी दोस्ती को शायद किसी की नज़र लग गई !
मेरे दिल की आरज़ू है कि तुम्हें पहले जैसा देखूं !!
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तुम्हें शायद अपनी मोहब्बत का एहसास ही नहीं है !
उसके दिल की आरज़ू में तुम्हारे नाम का ज़िक्र है !!
******************तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु कवि व मंच संचालक अंबेडकरनगर उत्तर प्रदेश !