चर्चित कवि व मंच संचालक तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु का दूसरा काव्य संग्रह - ' मन का आँगन ' रवीना प्रकाशन द्वारा प्रकाशित !

 


रचना : ' मन का आँगन ' मेरी दृष्टि में

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मैंने उत्पतिष्णु काव्यानुरागी तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु की पांडुलिपि मन के आंगन को देखा मैंने सोचा कि किसी बच्चे की किलकारियों के अट्टहास में बदलने के सपने भी अजीब होते हैं ! फूल के सपने तितलियों की आंख के संदर्भ हैं ! दीपक की लौ पर जलना शलभों की ज़िंदगी का सबसे बड़ा खेल है ! लहर को ज्वार बनाने की कामना सागर की अपनी अभीप्सा है ! एक बूंद मचल कर हमारी आंखों में अषाढ़ के सपने ला सकती है ! एक कोयल कूक कर फागुनी बहारों के दिन का आगाज़ कर सकती हैं ! दरख्त की एक लचकती हुई साख एक तरह से किसी की अदाओं का बयान है ! चंद्रमा की एक किरण नक्षत्र मंडल की संपूर्ण आभा की एक चित्र है ! एक चिंगारी ज्वालामुखी के महा विस्फोट की आरंभिक भूमिका है ! सरोवर की एक कौमुदी निसर्ग की वादियों की एक कोमल झलक है ! अवगुंठनवती एक लता एक नवोढ़ा की एक खूबसूरत बिंब है ! सितारों भरी एक रात विराट की दैवीय आभा की एक चित्र है ! श्रीखंडों का एक शालीन वन वृक्ष जाति की एक पुनीत गाथा है ! गुलमोहर की एक रक्तिम कली एक गुलशन की अरुण आभा की सूचना है ! इसी तरह किसी कवि की एक पंक्ति उसके संपूर्ण व्यक्तित्व की व्याख्या है ! 

एक दिया से लेकर एक सूरज की भूमिका तक आलोक का इतिहास है ! कवि नक्षत्रों की तरह छोटे बड़े हो सकते हैं लेकिन आलोक की भाषा में सब एक हैं ! हमने सागर से पहले उन बूंदों को गले लगाया है जिनमें सागर बनने के सपने हैं ! भंवरा छोटा हो या बड़ा उसके गुंजार बहारों के लिए अपेक्षित हैं ! रचना धर्मिता की मुफलिसी भी सर्वहारा की तरह संवेदना का संदर्भ है ! छोटा कवि कभी चाहकर बड़ा नहीं हो पाता और बड़ा कवि चाहकर भी छोटा नहीं हो सकता ! यह छोटा या बड़ा होना परमात्मा के हाथ में है ! व्यक्ति अपनी मौलिकता का अनुवाद है ! चंदन के वृक्ष में गुलमोहर के फूल नहीं लग सकते ! परमात्मा की रचना में सब कुछ महत्वपूर्ण है ! 

         कविता किसी विराट के स्वर की एक लयात्मक भूमिका है ! वृक्ष कविता हैं जिसे जमीन आसमान में लिखती है ! कविता अमराइयों की गांछ में लटकी है ! कविता वात्याचक्रों के वर्तुल आवेग में भटकी है , कविता कली की बाहों में फूल बनकर चटकी है ! कविता आषाढ़ के बादलों की गोद से हमारे ऊपर कूदकर घटाओं की तरह हमारे कंधे में लटक जाती है ! कविता ह्रदय के जंगलों में उठने वाली बहार है , कविता मन के सीवान पर खिली हरसिंगार है , कविता उच्चाकांक्षाओं से जुड़ी देवदार है , कविता वेगवती नदी की बगल फैली हुई स्वर्णिम कछार है ! कविता दिल के दरख़्तों पर बैठने वाली बुलबुल है ! यह मन की मीनारों पर ठहरने वाली मैना है ! कविता अक्षरों की बांसुरी है ! कविता शब्दों की शहनाई है ! कविता सागर की गहराई है ! कविता पर्वत की ऊंचाई है ! कविता अनहद नाद है ! कविता ओंकार की भाषा है ! कविता सांसो के आरोह और अवरोह के साथ उठती और गिरती है ! 

               रचनाकार ' जिज्ञासु ' कविता की इन्हीं सतहों को छूने के प्रयासी हैं ! किसी अज्ञात यौवना नायिका की तरह कविता उन्हें अभी छू रही है ! रचना ' मन के आँगन में ' अनुभूत सत्य का वर्णन है ! रचनाकार ने जीवन के कटु यथार्थ को जैसा देखा है वैसा कहा है ! वह अपनी भावना के प्रति ईमानदार है ! हमारा पूरा परिवेश हमारे लिए एक सवाल है ! इसका उत्तर देना किसी भी साहित्यकार का धर्म है ! जमीनी हक़ीक़त को ज़िंदगी की ज़मीनी जंग मान कर एक साहित्यकार लड़ता है ! ' मन के आँगन 'रचना में रचनाकार जीवन के अनभूत तमाम कटु संदर्भों को उठाया है ! उसने सपाट बयानी में ऐसे तमाम संदर्भों को उजागर करने की कोशिश की है ! एक तरह से यह रचना एक मुक्तक काव्य है ! रचनाकार इसे लयात्मक बना ले गया होता तो और अच्छी बात होती ! बानगी के तौर पर इस रचना की प्रथम पंक्तियों को देखें -

राही के हौसलों का इम्तिहान ले रहा है कुछ इस तरह ! 

पथरीले रास्तों पर कांटे सजा रहा है बड़े इत्मीनान से !! 

पथरीले रास्ते स्वयं में कष्टदायक हैं और यदि उस पर कांटे भी बिछा दिए जाएं तो उस पर चलना आसान नहीं है ! और यदि उस पर भी कोई राही चल ले जाए तो किसी भी मंज़िल को आसानी से पा सकता है ! निश्चित रूप से रास्ते की कठिनाइयां हर राहगीर के लिए एक परीक्षक की तरह होती हैं ! यह कांटे और कठिनाइयां उसके सफ़र के इम्तिहान हैं ! ज़िंदगी की विविध बाधाएं इसी तरह परीक्षा बनकर हमारे सामने आती हैं जो परीक्षा से घबराते नहीं वही लोग ज़िंदगी में मील के पत्थर बनते हैं ! इन पंक्तियों में रचनाकार ने उसी अनुभूति का सत्यापन किया है ! कवि की आजादी के संबंध में अधिकृत तमाम पंक्तियों में दो पंक्तियां ऐसी हैं जिनमें आजादी के नाम पर उच्छृंखल हुए उन बेटों का चित्र खींचा गया है जो मां-बाप का आदर नहीं करते दिखे -

आजाद भारत की एक तस्वीर हमें खटकती है ! 

मां-बाप की आजादी पर अंकुश लगाते हैं बच्चे !! 

यह पंक्तियां कवि की सांस्कृतिक अनुभूति की परिचायिका है ! इन पंक्तियों के माध्यम से साहित्यकार का बड़ा कद सामने आता है जो आदर के योग्य है ! राष्ट्रीय ध्वज को समर्पित ये पंक्तियां भी सराहनीय हैं - 

अजीबोगरीब संस्कृति है हमारे मुल्क की समझो ! 

यहां भिखारी भी तिरंगे को सलाम करता है !! 

दिया जैसे प्रतीकों के माध्यम से ज़िंदगी को दिया गया यह संदेश भी अच्छा बन पड़ा है - 

अंधकार को कोसते रहने से अंधेरा नहीं जाने वाला ! 

अच्छा हो कि तुम अब एक दिया जलाने की सोचो !! 

प्रेमानुभूति की यह पंक्तियां भी सराहनीय हैं -

दूर जा रहे हो मुझसे लेकिन सच यह है ! 

तुम्हारा लिखा हुआ प्रेम पत्र मेरे पास आया है !! 

दिवाली से संबंधित ये पंक्तियां गांव की सहज मनोवृत्तियों का चित्र प्रस्तुत करती हैं ! रचना का यह ग्राम्य बोध आदर के योग्य है -

तुम्हारे शहर की दीवाली में पटाखों की गूंज शामिल है ! 

हमारे गांव में मिट्टी के दिए और घरों में पूजा की धूम है !! 

नए और पुराने दौर को संदर्भित करने वाली यह पंक्तियां भी काफी सराहनीय हैं -

पुराने दौर में सादगी का बड़ा बोलबाला था ! 

नए दौर में हर तरफ लफ्फाजी और मक्कारी है !! 

इसी तरह बगावत और प्रेम जैसे दो संदर्भों को ध्यान में रखते हुए लिखी गई यह पंक्तियां प्रेम को विजयी बनाने के लिए कितनी बड़ी सीख देती हैं देखें -

मोहब्बत का पाठ हर किसी से सीखते चलो तुम ! 

बगावत की सीढ़ियां चढ़ते - चढ़ते थक जाओगे तुम !! 

सब मिलाकर रचना आदर के योग्य है ! भाषा हिंदी उर्दू मिश्रित है ! इस रचना में जीवन के विभिन्न संदर्भों को उठाकर हमें कुछ समझाने की कोशिश की गई है ! समस्या उठाना और उसको दिशा देना कवि का धर्म है ! रचनाकार ने इसका बखूबी निर्वाह किया है ! पूरी रचना में वह एक दार्शनिक की तरह हर बिंदुओं को सोचते हुए नज़र आता है ! साहित्य में गहन जीवन दर्शन को स्थापित करने वाला साहित्यकार हमेशा एक मनीषी की भूमिका में होता है ! वाह आलोक का विजय पर्व मनाने का मुखापेक्षी है ! मुझे विश्वास है यदि रचनाकार तन्मयता से पूर्ववर्ती तथा वर्तमान साहित्यकारों का अध्ययन एवं उनकी रचना का गहन अनुशीलन करते हुए तमाम राष्ट्रीय और वैश्विक संदर्भों पर गहनता से सोचने का काम करेगा तो वह भविष्य में मां भारती के चरणो में बहुत कुछ समर्पित करेगा ! कवि जिज्ञासु और उनके बड़े भाई श्री रमेश मिश्र वकील साहब दोनों हृदय के विराट हैं ! दोनों भाइयों का पारस्परिक अनुबंध मुझे बहुत भाता है ! रचनाकार के प्रति मेरी शुभकामनाएं प्रेषित हैं ! मैं उसमें छिपे साहित्यकार को प्रणाम करता हूं ! 

                 शुभकामनाओं सहित

        राजेंद्र त्रिपाठी राहगीर

 अतरौलिया आजमगढ़ 

   मोबाइल नंबर - 9452169081