तुम्हारे ख़यालात मुलाक़ात की इजाज़त नहीं देते -- कवि तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु

तुम्हारी मुलाक़ात भी हमारी ज़िंदगी का अहम हिस्सा है ! 


तुमसे मिलने के बाद हमें ज़िंदगी बहुत प्यारी लगने लगी !! 


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मुझसे मुलाक़ात करने का बहाना मत ढूंढो ! 


जब जी चाहे चले आओ दिल से लगा लेंगे !! 


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एक इंसान का दूसरे इंसान से मिलना इत्तफाक नहीं ! 


यह खुदा की मर्जी है वरना कौन किस से मिलता है !! 


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हमारी उससे मुलाक़ात हो जाती है अक्सर ! 


हमारा ख़्याल भी उसके ख़्याल से मिलता है !! 


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तुम्हारा घर हमारे घर से बहुत ही नज़दीक है लेकिन ! 


तुम्हारे ख़यालात मुलाक़ात की इजाज़त नहीं देते !! 


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आओ-आओ बड़े दिन के बाद मिल रहे हो मुझसे ! 


तुम्हारी मुलाक़ात हमारे आंखों की रोशनी बढ़ा देती है !! 


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हमारी आंख के आंसू रुकते ही नहीं तुम्हारे जाने के बाद ! 


तुम्हारी मुलाक़ात का जादू इस कदर समा जाता है मुझमें !! 


************* तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु कवि व मंच संचालक अंबेडकरनगर उत्तर प्रदेश !


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