सच कहूं तो मेरा दिल इस हुनर के क़ाबिल है -- कवि तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु

तुम्हारी मासूमियत भी तुम्हारा एक हथियार है !! 


तेरी मासूम निगाहों ने घायल कर दिया मुझको !!


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एक मासूम का दर्द बांटने की कोशिश थी मेरी ! 


निगाह पड़ी जो हैवान की कोशिश बेकार हुई !! 


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मासूम चेहरों से बचने की कोशिश हुआ करती है मेरी ! 


मासूम लोगों से नजरें मिला बहुत नुकसान उठाया मैंने !! 


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मासूम लोगों से मिलकर उनका दुख बांटना आसान नहीं ! 


किसी की मासूमियत भी कभी-कभी बड़ा खेल करती है !! 


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एक मासूम हसीना से मिलकर दिल बहलाने की कोशिश थी उसकी ! 


कैसे बताऊं कोशिश को कामयाब करने में उसके दिल का दर्द भारी हो गया !! 


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मेरे दिल की हर धड़कन में तुम्हारी पुकार शामिल है ! 


मेरी मासूमियत का पता ढूंढने में थक गया दिल तुम्हारा !! 


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मासूम लोगों से रिश्ता निभाने को हुनर चाहिए ! 


सच कहूं तो मेरा दिल इस हुनर के क़ाबिल है !! 


******************** तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु कवि व मंच संचालक अंबेडकरनगर उत्तर प्रदेश !