तुम्हारे मुंह से शराफ़त का क़िस्सा नहीं सुना मैंने -- कवि तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु

मत पढ़ाओ शराफ़त का पाठ तुम हमको ! 


तुम्हारे चरित्र का हर एक पन्ना पढ़ा है मैंने !! 


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अख़बार में देखो तो हर जगह लूटपाट दंगा फसाद है ! 


यारों क्या हमारे मुल्क में अब शराफ़त बची ही नहीं !! 


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तुम्हारे मुंह से शराफ़त का क़िस्सा नहीं सुना मैंने ! 


कभी-कभी लूटपाट बलवा से इतर कुछ सुनाओ !!


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तुम्हारे शहर की कहानी सुनकर मन में एक ख़्याल आया ! 


क्यों ना शहर में एक मोहल्ला शरीफों का बसाया जाए !! 


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तोड़ती रहेगी शराफ़त अगर यूं ही दम अपना ! 


तुम्हीं बताओ सुकून का एहसास किसको होगा !! 


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शराफ़त का नमूना बने घूम रहे हो सरे बाज़ार तुम ! 


सोचो जो दबंगों की नज़र पड़ गई तुम पर तो क्या होगा !! 


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अपराध की दुनिया में मर्दों का दम घुट रहा है ! 


तुम कहते हो औरत दुनिया पर शासन करेगी !! 


****************** तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु कवि व मंच संचालक अंबेडकरनगर उत्तर प्रदेश !


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