ज़िंदगी की कीमत समझ लेना वक़्त के साथ तुम !
ज़िंदगी गुजर जाएगी सबक़ सिखा कर तुझको !!
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बदले दौर में वक़्त के साथ चलने का हुनर सीखो !
ज़िंदगी का हर दिन तुम्हारे लिए इम्तिहान होगा !!
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किसी भी दौर में ज़िंदगी जीना आसान नहीं रहा !
कल की दुश्वारियां कुछ और थी आज कुछ और !!
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बहुत से गुल खिलेंगे अभी तुम्हारी ज़िंदगी में प्यारे !
ज़िंदगी के बहुत से रंगों का एहसास अभी नहीं है तुमको !!
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है कामयाब वही जो बिगड़े दौर में अपनी ज़िंदगी गुजार ले !
ज़िंदगी से कुछ ना कुछ शिकायत तो हर किसी को रहती है !!
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बड़ा तजुर्बा है तुमको अब तक की ज़िंदगी में !
मैं पूछता हूं बताओ आख़िर ज़िंदगी है क्या !!
************* तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु कवि व मंच संचालक अंबेडकरनगर उत्तर प्रदेश !