आज़ाद पंछी की तरह मेरी भी चाहत है उड़ने की -- कवि तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु


आज़ाद पंछी की तरह मेरी भी चाहत है उड़ने की ! 


कोई चमत्कार हो ऐसा की चाहत साकार हो जाए !! 


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आज़ाद भारत की एक तस्वीर हमें खटकती है !


मां-बाप की आज़ादी पर अंकुश लगाते हैं बच्चे !! 


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हमें स्वच्छंदता नहीं चाहिए कभी भी आत्मीय पारिवारिक रिश्तों के बंधन में ! 


आज़ाद होकर भी हमें मां-बाप की ख्वाहिशों का बंधन मंजूर है ख़ुशी - ख़ुशी !! 


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नहीं है अंकुश तुझ पर फिर भी तेरे उड़ान की एक सीमा है ! 


आज़ाद होने का मतलब यह नहीं कि अनुशासन से दूर हो जाओ !! 


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आज़ाद भारत का सपना देखते थे हमारे पूर्वज कभी ! 


आज कथित आज़ादी से भी ढेरों शिकायत है हम सबको !! 


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तुम्हें देशभक्तों के त्याग की अहमियत का अंदाजा नहीं शायद ! 


आज़ाद होकर अपनी ज़िंदगी गुजारते रहना कितना क़ीमती है !! 


************* तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु कवि व मंच संचालक अंबेडकरनगर उत्तर प्रदेश !


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