तेरी आंख का आंसू देख हैरान हो गया मैं -- कवि तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु


हमें तुमसे मोहब्बत है कितनी कैसे बताऊं ! 


तेरी आंख का आंसू देख हैरान हो गया मैं !! 


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ग़म और ख़ुशी का इजहार करो या ना करो मुझसे ! 


तुम्हारे दिल का हाल तुम्हारे आंसुओं से पढ़ सकता हूं !! 


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कभी अपने आशियाने से निकल मेरी हवेली में भी आओ ! 


ज़िंदगी का सारा किस्सा मेरी आंख के आंसू बता देंगे तुमको !! 


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तुम्हारे दिल के बाज़ार में मेरे आंसुओं की कीमत नहीं है कुछ भी ! 


मगर इतना समझ लो मेरे गम के आंसू में डूबे तो फिर निकल ना पाओगे !! 


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मेरे दर्द का किस्सा सुनाते फिर रहे हो सरे बाज़ार तुम ! 


शायद मेरा दर्द खरीदना चाहो तो कंगाल हो जाओ तुम !! 


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हमारी आंख के आंसू बहुत कुछ बता देंगे तुमको ! 


तुम्हारी काबिलियत हमें कितना पहचान पाते हो !! 


************* तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु कवि व मंच संचालक अंबेडकरनगर उत्तर प्रदेश !