साहित्य, ग़ज़ल:- मुफ़लिसों पर ज़ुल्म होते देखकर आँख से शोले गिराती चाँदनी--शायर  - बलजीत सिंह बेनाम


ग़ज़ल


बहर - बहरे-रमल मुसद्दस महज़ूफ़


वज़्न - 2122--2122--212 


अर्कान - फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन 


 


जब ख़ुशी से झूम जाती चाँदनी


हाथ तारों से मिलाती चाँदनी


 


तीरगी में शख्स इक बैठा हुआ


कहकहे उस पर लगाती चाँदनी


 


मुफ़लिसों पर ज़ुल्म होते देखकर


आँख से शोले गिराती चाँदनी


 


आसमां पर तो कोई सोता नहीं


किसलिए चादर बिछाती चाँदनी


        शायर बलजीत सिंह बेनाम


       जन्म तिथि:23/5/1983


       शिक्षा:स्नातक


        सम्प्रति:संगीत अध्यापक


        उपलब्धियां:विविध मुशायरों व सभा संगोष्ठियों में काव्य पाठ


विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित


विभिन्न मंचों द्वारा सम्मानित


सम्पर्क सूत्र: 103/19 पुरानी कचहरी कॉलोनी, हाँसी


ज़िला हिसार(हरियाणा)


मोबाईल नंबर:9996266210