बस्ती :- 21 दिनों के लॉकडाउन पीरियड में कम आये वाले, अथवा रोज कमाने और रोज खाने वालों की हालत बदतर है। लॉकडाउन उनके लिये किसी इम्तेहान से कम नही है। पत्रकार समाज का ऐसा ही तबका है जहां मुट्ठी भर लोगों की बात छोड़ दी जाये तो अधिकांश लोगों का न कोई आय का जरिया है और न ही भविष्य। लेकिन वे पत्रकारिता को मिशन मानकर कठिन से कठिन परिस्थितियों में समाज के साथ खड़े नजर आते हैं।
पत्रकार को समाज के हर तबके की चिंता रहती है लेकिन पत्रकार की चिंता बहुत कम लोगों को रहती है।
आज जब लोहिया मार्केट स्थित मीडिया दफ्तर पर समाजसेवी नन्दीश्वरदत्त ओझा पत्रकारों को आर्थिक मदद देने पहुंचे ।
उन्होने जब अपनी इच्छा व्यक्त की तो कुछ पत्रकारों ने श्री ओझा से कहा कि ये आर्थिक मदद जरूरतमंदो को देने बात कही जिनको इसकी ज्यादा जरूरत है।
श्री ओझा ने कहा ऐसे लोगों के लिये हम अलग से कार्य कर रहे हैं। हम जो लाये हैं उसे आप लोग स्वीकार कर लीजिये, वरना हमारी भावनायें आहत होंगी। पत्रकारों ने उनके इच्छा का सम्मान करते हुए सहर्ष स्वीकार किया और इसके लिए उन्हें धन्यवाद दिया।