हमें तेरी मोहब्बत का इम्तिहान लेना है , तेरे साथ गुज़रे वक्त का बयान लेना है तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु


एक नए रास्ते का ईजाद किया है हमने ! तुम भी इसी रास्ते पर चले आओ !! चर्चित कवि व मंच संचालक तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु का यह शेर लॉक डाउन पीरियड में चल रहे ऑनलाइन कवि सम्मेलन व मुशायरे पर सटीक बैठता है ! अभूतपूर्व कोरोनावायरस के संक्रमण के चलते इन दिनों पूरी दुनिया में सामाजिक व सास्कृतिक गतिविधियों की मंचीय परंपरा को विराम लग चुका है ! ऐसे में लोग सोशल मीडिया का सहारा ले रहे हैं ! इन दिनों व्हाट्सएप ग्रुपों पर कवि सम्मेलन व मुशायरे की धूम मची है ! इसी क्रम में सृजन संकल्प साहित्य संगम जमुहट आज़मगढ़ उत्तर प्रदेश द्वारा व्हाट्सएप ग्रुप पर अखिल भारतीय कवि सम्मेलन व मुशायरा आयोजित हुआ ! जनपद सिद्धार्थनगर के वरिष्ठ शायर डॉक्टर सुशील श्रीवास्तव सागर की अध्यक्षता व तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु के संचालन में विभिन्न प्रांतों के कवियों और शायरों ने गीत ग़ज़ल व मुक्तक के माध्यम से अपनी अभिव्यक्ति को उड़ान दी ! कार्यक्रम का शुभारंभ डॉ उषा कनक पाठक मिर्जापुर द्वारा वाणी वंदना से हुआ ! डॉ ऊषा पाठक ने पढ़ा -- पावस ऋतु के आ जाने पर मेघ मुदित हो जाता है ! दूर-दूर से जल भरकर वह वसुधा पर उड़ेल देता है !! मध्य प्रदेश के मनोज तिवारी मनसिज ने पढ़ा -- अनमोल ज़िंदगी है अब मौत ना बुलाओ ! घर में रहो सुरक्षित बाहर अभी ना जाओ !! बस्ती उत्तर प्रदेश के शायर रोमित हिमकर ने पढ़ा -- वह बेखबर है गुल कोई टूटा है डाल से ! सूखा है सब्जबाग मेरे इस सवाल से !! मनीष तिवारी सासाराम बिहार ने पढ़ा -- मेघ जैसे काले-काले कुंतलों की ओट ले के ! नैन बाण मुझ पे चला रही है बावरी !! कृष्णानंद दुबे गाजीपुर ने पढ़ा -- मोहब्बत की उम्मीद तुमसे लगी है ! वही आग सीने में फिर जल पड़ी है !! उज्जवल जोशी विरार  मुंबई ने पढ़ा  -- दूर-दूर तक मनहूस वीरानी सी छाई है ! मुझे इंसान की कीमत समझ आई है !! अभय दीक्षित इटावा ने पढ़ा -- तुम लिखो कहानी महलों की ,राजाओं की ,रजवाड़ों की ! मुझको मजदूरों के हाथों में उभरे छाले लिखने दो !! तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु ने पढ़ा -- हमें तेरी मोहब्बत का इम्तिहान लेना है , तेरे साथ गुज़रे वक्त का बयान लेना है ! प्रेम की दुनिया में समर्पण क्या चीज है , बताकर दुनिया को हमें एहसान लेना है !! कवि लखन लाल सोनी छत्तीसगढ़ , मारुति गंगासागरे महाराष्ट्र , रफीक अहमद नागौरी , राजबाला विश्वकर्मा आज़मगढ़ , , सुरेंद्र कुमार सिंह चांस , डॉक्टर नरेश कुमार सागर हापुड़ उत्तर प्रदेश तथा संयोजक व समीक्षक के काव्य पाठ के साथ डॉ सुशील श्रीवास्तव सागर ने पढ़ा -- सच झूठ के आगे कभी हारा न मिलेगा , आकाश से धरती का किनारा न मिलेगा ! तुम चांद के दीदार में मशरूफ यूं रहे , तो चांद क्या टूटा हुआ तारा न मिलेगा !! अंत में संयोजक उदय नारायण सिंह निर्झर ने सभी कवियों तथा ग्रुप के सदस्यों के प्रति आभार ज्ञापित करते हुए कार्यक्रम का समापन किया !