सिद्धार्थनगर। जनपद के बांसी तहसील के निवासी विनोद तिवारी का निधन हाथरस में तब हो गया जब वे दिल्ली से मोपेेेड पर परिवार सहित घर के लिए निकले थे। घटना के समय नवीन तिवारी की पत्नी व दो बच्चे साथ थे।
हादसे के बाद अफवाह फैली की नवीन तिवारी की मौत कोरोना से हुई है ,ऐसे में कोई व्यक्ति मदद के लिए भी नही पहुंचा। हादसे की सूचना पर हाथरस के डीएम मौके पर पहुंच कर जानकारी लिया और लाश को सिद्धार्थनगर भेजने पर हाथ खड़ा कर दिया कहा कि अंतिम संस्कार वही कर दिया जाय। ऐसे में मौके पर मौजूद सबइंस्पेक्टर शहबाज खान आगे आये 15000 रुपये अपने पास से देकर नवीन तिवारी ,पत्नी ,दो बच्चों के साथ ही नदीम व छोटू नाम के युवकों को साथ भेजा।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक विनोद तिवारी सिद्धार्थनगर की बांसी तहसील के रहने वाले थे. दिल्ली में वो परचून और चाय की दुकानों पर बिस्कुट, नमकीन सप्लाई करने का काम करते थे. लॉकडाउन का ऐलान होते ही सारी दुकानें बंद हो गईं और उनका काम भी रुक गया. इसके बाद विनोद तिवारी ने अपनी मोपेड से परिवार समेत घर निकलने का फैसला किया लेकिन हाथरस के सिकंदराबाद क़स्बे तक पहुंचते-पहुंचते उनका दम निकल गया. मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी दावा किया गया है कि विनोद तिवारी मुंह के कैंसर से पीड़ित थे और दिल्ली में उनका इलाज भी चल रहा था।
दिल्ली में स्वतंत्र पत्रकार सत्येंद्र के मुताबिक ‘32 साल का तिवारी दिल्ली की नवीन विहार कॉलोनी में अपनी पत्नी व दो बच्चों के किराए के मकान में रहता था. बिस्कुट व कुरकुरे आदि सामान की सेल्समैनी करके अपने परिवार का भरण पोषण कर रहा था। लॉकडाउन के बाद काम बंद होने से आय का साधन समाप्त हुआ तो विनोद तिवारी शुक्रवार की देर रात्रि पत्नी व दो बच्चों को मोपेड पर बिठाकर यूपी के सिद्धार्थनगर घर के लिए चल पड़ा। हाथरस में उसकी तबीयत बिगड़ी. वह मर गया। न तो उसे मरने का शौक रहा होगा, न यह शौक रहा होगा कि गांव में जाकर कोरोना फैलाएं. दिल्ली में मर जाने की नौबत देखकर भागा होगा और आधे रास्ते में मर गया।
हालांकि यह पहला मामला नहीं है जब लॉकडाउन के बीच किसी दिहाड़ी मज़दूर की पलायन के दौरान मौत हुई है. इससे पहले दिल्ली के एक रेस्तरां में डिलेवरी ब्वॉय का काम करने वाले रणवीर सिंह की आगरा में मौत हो गई. रणवीर दिल्ली से मध्यप्रदेश के मुरैना ज़िले के लिए निकला था.