अब यूपी में ही बनेगी कोरोना रैपिड टेस्ट किट,15मिनट में होगी जांच,खर्च मात्र 500 रुपया,आईसीएमआर से अनुमति मिली


लखनऊ. कोरोना वायरस का कहर बढ़ता जा रहा है। पर उत्तर प्रदेश सरकार कोरोना वायरस से हार मानने वाली नहीं है। वह लगातार बचाव के वह सारे इंतजाम कर रही है जिसके जरिए कोरोना वायरस को हरा कर हम ये जंग जीत जाएं। सिर्फ एक हफ्ते का इंतजार है, जिसके बाद हम यूपी की बनी अपनी रैपिड टेस्ट किट के जरिए सिर्फ 15 मिनट में जांच का रिजल्ट बता देंगे कि इस मरीज को कोरोना वायरस पाजिटिव है या निगेटिव। जांच की लागत सुनेंगे तो खुशी से झूम उठेंगे, मात्र 500 रुपए। इसके साथ ही प्रदेश पूल टेस्टिंग भी शुरू करने जा रहा है। इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) से इसकी अनुमति मिल गई है। जर्मनी की तर्ज पर पूल टेस्टिंग करने वाला यूपी देश का पहला राज्य बना है। इन दोनों की मदद से उत्तर प्रदेश में कोरोना टेस्ट में तेजी आएगी।इस वक्त प्रदेश में 14 सरकारी लैब में प्रतिदिन दो हजार संदिग्ध मरीजों के नमूने जांचें जा रहे हैं। इसके अलावा एक निजी लैब डॉक्टर आरएमएल मेहरोत्रा मदद कर रही है। प्रमुख सचिव, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, अमित मोहन प्रसाद ने मंगलवार को बताया कि सोमवार को हमने सबसे अधिक 2,634 सैम्पल्स की टेस्टिंग की है। नोएडा में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायोलाॅजिकल्स में भी टेस्टिंग शुरू हो गई है। पिछले समय का बैकलाॅग भी खत्म हुआ है।


यूपी की दो कम्पनियों को मिली अनुमति :- चीन से आने वाली किट में देरी देख मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) से अनुमति मिलने के बाद प्रदेश में ही दो एमएसएमई इकाइयों से रैपिड टेस्ट किट तैयार करवाने की अनुमति प्रदान की। इनमें एक इकाई नोएडा की कंपनी नू लाइफ है, जिसकी किट को नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वॉयरोलॉजी (एनआईवी) पुणे ने हरी झंडी दे दी है। दूसरी लखनऊ की कंपनी बायोजैनिक्स है जिसने अपनी किट अनुमोदन के लिए एनआईवी पुणे को भेज दी है। शीघ्र ही मंजूरी मिलने की उम्मीद है।


सिर्फ 15 मिनट और 500 रुपए :- नू लाइफ ने उत्पादन शुरू कर दिया है, उम्मीद है कि 18 अप्रैल को 200 किट की पहली खेप राज्य सरकार को सौंपेगी। इस रैपिड टेस्ट किट से कोविड-19 की जांच में 500 रुपए से भी कम खर्च में हो जाएगी। सरकार की तरफ से ये जांचें मुफ्त हैं पर निजी संस्थान 4500 रुपए चार्ज करतीं हैं। बायोजैनिक्स के संतोष श्रीवास्तव का कहना है कि मौजूदा समय में कोरोना वायरस की जांच की पद्धति खर्चीली तो है ही, साथ ही इसमें समय भी लगता है। रैपिड टेस्ट किट काफी किफायती है और महज 15 मिनट में जांच से पता चल जाता है कि व्यक्ति संक्रमित है या नहीं। अगर रिपोर्ट निगेटिव आती है तो कुछ नहीं करना होता है। रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर आगे दोबारा जांच करानी पड़ती है।


प्रशिक्षित टेक्नीशियन की जरूरत नहीं :- इस किट की खास बात है कि प्रशिक्षित टेक्नीशियन की जरूरत नहीं है। इस किट से कहीं भी और कोई भी टेस्ट कर सकता है। रैपिड टेस्ट किट से मरीज का खून लेकर नोवेल कोरोना वायरस की पहचान की जा सकती है जबकि अभी जो टेस्ट हो रहे हैं वह नाक व गले के स्वॉब से किया जाता है। जिस तरह घर पर ब्लड शुगर की जांच की जाती है उसी तरह इसकी जांच हो सकती है।


18 अप्रैल तक यूपी को 200 रैपिड जांच किट :- एमएसएमई विभाग प्रमुख सचिव नवनीत सहगल ने बताया कि “18 अप्रैल तक यूपी को 200 रैपिड जांच किट मुहैया हो जाएगी। इस प्रकार यूपी देश का पहला प्रदेश बनेगा जहां पर कोविड की रैपिड जांच किट का उत्पादन शुरू होगा। लखनऊ की कंपनी बायोजैनिक्स को भी जल्द मंजूरी मिलने की उम्मीद है। प्रदेश में चिकित्सा उपकरणों के उत्पादन की क्षमता बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।


जर्मनी की तर्ज पर पूल टेस्टिंग करने वाला यूपी देश का पहला राज्य :- आईसीएमआर से उत्तर प्रदेश को पूल टेस्टिंग की अनुमति मिल गई है। पूल टेस्टिंग में एक साथ दस लोगों की कोरोना वायरस की जांच की जा सकती है। अगर इसमें किसी की जांच पाजिटिव आई तो फिर सबकी अलग-अलग जांच की जाएगी। इस प्रकार यूपी पूल टेस्टिंग करने वाला पहला राज्य होगा।