लखनऊ. मार्च का महीना पिछले कई सालों में ऐसा नहीं था. इतनी देर तक न बारिश जारी थी और न ही ठंडक. ऊपर से कोरोना वायरस के प्रकोप ने लोगों को मुश्किल में डाल रखा है. ऐसा नहीं है कि इस सीजन में किसी वायरस से पहली बार कोई इंफेक्शन हो रहा है. हर साल इस मौसम में स्वाइन फ्लू (Swine Flu) का प्रकोप देश और दुनिया में देखा जाता रहा है लेकिन लोगों को उम्मीद रहती थी जैसे ही ठंड का मौसम जाएगा और गर्मी आएगी, ऐसी बीमारियां अपने आप खत्म हो जाएंगी. अब वैज्ञानिक कोरोना वायरस को लेकर भी यही उम्मीद जता रहे हैं, हालांकि ये अभी सिर्फ पुराने वायरस के आधार पर उम्मीद ही है क्योंकि किसी को नहीं पता कि कोरोना वायरस बढ़ते तापमान के साथ कैसा रिएक्ट करेगा.
दरअसल सांस संबंधी बीमारियों के लिए जिम्मेदार वायरस बढ़ती गर्मी के साथ कम होते जाते हैं. स्वाइन फ्लू और दूसरी बीमारियों के लिए जिम्मेदार वायरस का इतिहास भी ऐसा ही रहा है. माइक्रोबायोलॉजिस्ट मानते हैं कि 38 से 40 डिग्री टेंपरेचर पर इनफ्लुएंजा के वायरस खत्म हो जाते हैं. तो अब सवाल उठता है कि क्या कोरोना वायरस भी गर्मी बढ़ने के साथ खत्म हो जाएगा?
अभी दुनिया भर में चल रही है रिसर्च
जालौन मेडिकल कॉलेज में माइक्रोबायोलॉजिस्ट के पद पर तैनात डॉ अंकुर बताते हैं कि कोरोना वायरस को लेकर अभी तक ऐसी कोई रिसर्च सामने नहीं आई है कि किस टेंपरेचर पर यह वायरस खत्म हो जाएगा. कोरोनावायरस जिसे अब सार्स 2 कोरोना वायरस का नाम दिया गया है, बिल्कुल नया वायरस है और इस पर अभी रिसर्च दुनिया भर में चल रही है.
अपनी फैमिली का सबसे घातक वायरस क्यों है कोरोना
उन्होंने बताया कि ऐसा पहली बार नहीं है जब कोरोना फैमिली के किसी वायरस ने इंसानों की जान ली हो. इससे पहले मर्स कोरोना वायरस, जिसे मध्य पूर्व रेस्पिरेट्री सिंड्रोम रिलेटेड वायरस कहा गया था, ने 2013 में अरब देशों और दुनिया के कई देशों में लोगों की जान ली थी. इसके अतिरिक्त 2002 में आया सार्स 1 कोरोनावायरस, जिसे सीवियर एक्यूट रेस्पिरेट्री सिंड्रोम रिलेटेड कोरोनावायरस कहा गया था, उसने भी लोगों की जान ली थी. यह दोनों वायरस जानवरों से इंसान में फैलते थे.
मौजूदा COVID-19 इंसानों से इंसानों में फैल रहा है और इसी वजह से ज्यादा घातक होता जा रहा है. हालांकि कोरोना फैमिली के पहले दो वायरस बहुत कम फैलेे थे लेकिन उनके इन्फेक्शन में मृत्यु दर ज्यादा थी. COVID-19 या सार्स 2 कोरोनावायरस जो अभी चल रहा है, यह फैलता तो तेजी से है लेकिन इसमें मृत्यु दर कम है. दो से तीन फ़ीसदी संक्रमित लोग ही अपनी जान गंवा रहे हैं
कब खत्म होगा कोरोनावायरस का प्रकोप
इस संबंध में देहरादून के दून मेडिकल कॉलेज में माइक्रोबॉयोलॉजिस्ट डॉ शेखर पाल ने बताया कि आमतौर पर दिनों दिन गर्मी बढ़ने से इस वायरस के प्रकोप में कमी आने की संभावना है लेकिन यह पुख्ता तौर पर नहीं कहा जा सकता.
किस तापमान पर खत्म होगा नोबेल कोरोनावायरस
किसी भी वायरस के जिंदा रहने के लिए कम तापमान बेहद जरूरी होता है. बच्चों का टीका हो या फिर पोलियो का ड्रॉप, इन सभी को हमने देखा होगा कि या तो फ्रिज में या बर्फ की पैकिंग में रखा जाता है. यह सभी वायरस ही होते हैं. यदि इन्हें ठंडे माहौल से निकाल दिया जाए तो यह बेअसर हो जाते हैं यानी वायरस मर जाते हैं. आमतौर पर जितने भी वायरस होते हैं वह ठंडे मौसम में ही सरवाइव कर पाते हैं और गर्माहट बढ़ने के साथ मरने लगते हैं.
उम्मीद है पर पुख्ता कुछ नहीं
लखनऊ के संजय गांधी पीजीआई में माइक्रोबायोलॉजी विभाग की हेड डॉ उज्ज्वला घोषाल ने बताया कि बस इसी उम्मीद के सहारे पूरी दुनिया में थोड़ा संतोष है कि गर्मी बढ़ने के साथ कोरोनावायरस भी खत्म हो जाएगा. मार्च का आधा महीना बीत गया है. अब धीरे-धीरे टेंपरेचर और ज्यादा बढ़ेगा. ऐसे में कम से कम भारत में तो इसका प्रकोप कम होना चाहिए ऐसी उम्मीद है, लेकिन इस बारे में पुख्ता तौर पर कुछ भी नहीं कहा जा सकता क्योंकि यह वायरस बढ़ते टेंपरेचर के साथ कैसा रिएक्ट करेगा? इस बारे में अभी तक कोईरिसर्चसामने नहीं आई है.
जाहिर है उम्मीद पर दुनिया कायम है. तो वायरस से बचाव के सारे उपाय किए जाएं और यह उम्मीद की जाए कि जैसे-जैसे तापमान बढ़ेगा जैसे जैसे मौसम गर्म होगा वैसे वैसे इस वायरस का प्रकोप भी खत्म होता जाएगा.
मनीष