प्रयागराज पुलिस का रेपिस्ट दरिंदो का खुला संरक्षण, बबिता शुक्ला ने आरोप लगाया


प्रयागराज।पुलिस  प्रशासन की अपराधियों से  मिलीभगत ने गरीब ब्राम्हण परिवार का मान सम्मान  इज्जत सब चौराहे पर लाकर खड़ा कर दिया है,!


पीड़ित लड़की ने  बताया कि रात साढ़े आठ बजे गांव के चार युवकों ने उसे कार में उठाकर ले गए। मेरे आंख पर पट्टी बांध दिया गया था। एक अंधेरे कमरे में रखा गया। मेरे साथ चारों सुबह-शाम दरिंदगी का खेल खेलते। तीन दिनों मुझे कार से घुमाते रहे।


परिवारवालों को आश्वासन देते हुए बबिता शुक्ला कहा कि वो उनके साथ खड़ी हैं और उन्हें न्याय दिलाने में हर संभव सहायता करेगी। रेप या बलात्कार की आठ दस घटनाएँ तो रोज हमारे संज्ञान में आती ही हैं कभी कभी ये घटनाएँ बहुत हृदयविदारक और नृशंस होती है जैसे गैंगरेप  महिला या लड़की की कोई मजबूरी का फायदा उठाकर उसके साथ बलात्कार ये सब देख या सुनकर हम आप क्या करते हैं ? कभी कभी मूड ख़राब हो जाता है कभी ज़माने को कोसते कभी न्याय व्यवस्था को कभी पुलिस को फिर थोड़े देर बाद सब भूलकर अपनी दिनचर्या में लग जाते हैं क्या कभी आपने गौर किया है ! 
 
ऐसा ही एक मामला, प्रयागराज। लेहड़ी ग्राम सभा के दोगारी का पूरा मजरे से 1 जनवरी की देर शाम घर के बाहर से परिजनों के सामने एक ब्राम्हण लड़की  का अपहरण गांव के ही चार युवकों सहित 4 अज्ञात ने कर लिया। पीड़ित परिवार मेजा थाने में नामजद एफआइआर पंजीकृत कराना चाहा तो हल्का सिपाही ने जबरिया तहरीर बदलवा कर एनसीआर दर्ज करवा दिया।


 मामले में न्याय न मिलते देख पीड़ित परिवार एसएसपी के दरबार में दस्तक देते हुए सांसद प्रोफेसर रीता बहुगुणा जोशी के मेजा तहसील आगमन पर घेराव कर न्याय की गुहार लगाई।  लड़की बरामद हो गई। 


 अपहृता लड़की को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रामनगर मेडिकल के लिए पुलिस द्वारा ले जाया गया तो पीड़ित लड़की ने  बताया कि रात साढ़े आठ बजे गांव के चार युवकों ने उसे कार में उठाकर ले गए। मेरे आंख पर पट्टी बांध दिया गया था। एक अंधेरे कमरे में रखा गया। मेरे साथ चारों सुबह-शाम दरिंदगी का खेल खेलते रहे। तीन दिनों मुझे कार से घुमाते रहे। 


फिलहाल मामले का पटाक्षेप मेडिकल रिपोर्ट के आने  के बाद भी नही हो पाया पुलिस और डाक्टर मिलकर जांच की झूठी रिर्पोट देकर अपराधियों को बचाने का प्रयास कर रही है इस मामले में पीड़ित परिवार को इंसाफ दिलाने के लिए समाज सेविका  बबिता शुक्ला प्रयागराज  लेहड़ी ग्राम सभा के दोगारी का पूरा मजरे की दुष्कर्म पीड़िता की मेडिकल रिर्पोर्ट डाक्टर द्वारा सही ना दिये जाने को लेकर पीड़ित परिवार से मिलने उनके घर पहुॅची ,परिवारवालों को आश्वासन देते हुए कहा कि वो उनके साथ खड़ी हैं और उन्हें न्याय दिलाने में हर संभव सहायता करेंगी।


समाज सेवी बबिता शुक्ला ने समाज के लोगो से आवाहन करते हुए कहा, 'इंसाफ़ मांगना इंसानियत का संकेत नहीं है. इंसाफ़ की लड़ाई लड़ रहे पीड़ित को हर क़दम पर सहयोग करना असल इंसानियत है.'पीड़ित परिवार  पिछले एक महीने  से अपने लिए इंसाफ़ की लड़ाई लड़ रही हैं.


बबिता शुक्ला पीड़ित परिवारों से मिलने के बाद पत्रकारों को बताया दिसंबर 2012 में भारत में बलात्कार के ख़िलाफ़ हुए आंदोलन के बाद भारत में बलात्कार से जुड़े क़ानूनों में कई बदलाव किए गए थे. उस घटना को गुज़रे हुए सात बरस हो चुके हैं. लेकिन, आज भी भारत महिलाओं के लिए दुनिया के सबसे ख़तरनाक देशों में से एक है.


उन्होने कहा इसी साल, 29 नवंबर को तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में जानवरों की एक डॉक्टर के साथ गैंगरेप के बाद उसे ज़िंदा जला दिया गया था. दिसंबर 2012 को गैंगरेप की शिकार हुई पीड़ित लड़की को जिस तरह उपनाम निर्भया दिया गया था, उसी तरह हैदराबाद में सामूहिक बलात्कार की शिकार इस लड़की को भी मीडिया ने 'दिशा' उपनाम दिया था.


इस घटना के ख़िलाफ़ देशभर में आवाज़ उठी थी. जिसके बाद पुलिस ने गैंगरेप के चार आरोपियों को गिरफ़्तार किया और इसके छह दिन बाद, यानी 6 दिसंबर को सभी आरोपियों को एक मुठभेड़ में मार गिराने का दावा किया.


ये 'फ़ौरी इंसाफ़', न्यायिक प्रक्रिया को लांघ कर दिया गया था और इसकी वजह थी, युवती से बलात्कार के ख़िलाफ़ देश भर में उठ रही आवाज़ें, जो तुरंत कार्रवाई की मांग कर रही थीं. हालांकि, पुलिस ने इसे एक सामान्य मुठभेड़ बताया था जिसकी अब जांच की जा रही है.


 हो सकता है कि किसी औरत ने रेप की शिकायत की हो और उसके मामले में कार्रवाई भी हुई हो जिसके बाद उसे न्याय भी मिल गया हो, लेकिन ऐसे मामलों की भी कमी नहीं है जिनमें जब किसी औरत ने अपने साथ हुए रेप की शिकायत की तो उसकी ज़िंदगी हमेशा के लिए तबाह हो गई,


.उन्होन पत्रकारों से कहा क्या रेप की शिकायत करने के साथ ही औरत की ज़िंदगी बर्बाद हो जाती है? इस बात पर एकतरफ़ा कुछ भी नहीं कहा जा सकता. क्योंकि ये सच है कि कुछ औरतों को न्याय मिलता है लेकिन इस सच को भी नकारा नहीं जा सकता कि कुछ औरतों को अपनी बात रखने की भारी क़ीमत चुकानी पड़ती है.लेकिन पुलिस और प्रशासन की मिलीभगत ने इस परिवार का मान सम्मान और इज्जत सब चौराहे पर लाकर खड़ा कर दिया है,और आज एक महीने से पीड़ित परिवार को इन्साफ के लिए तरह- तरह की यातनायें और बाते सुनायी जा रही है,


बबिता शुक्ला आज रविवार को पीड़िता  के  परिजन से मुलाकात की. परिवार से मुलाकात के बाद  कहा, 'पीड़िता के पूरे परिवार को पिछले एक  महीेनेसे लगातार परेशान किया जा रहा था.गांव के लोगो द्वारा मुझे सुनने को मिला है कि दोषियों के पुलिस प्रशासन से  कनेक्शन हैं. इसलिए वे अभी तक बचे हुए थे. राज्य में अपराधियों के बीच कोई डर नहीं है. मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि राज्य में अपराधियों के लिए कोई जगह नहीं है, लेकिन उन्होंने राज्य को क्या बना दिया. मुझे लगता है कि यहां महिलाओं के लिए कोई जगह नहीं है.'


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