नमरते दम तक मेरा साथ देने का वादा किया था उसने !
वक्त की करवट ने विदा कर दिया उसे मेरी मौत से पहले !!
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दुनिया में लोगों के अपने ग़म व अपनी शौकें हैं !
खुश रहना हो तो औरों से तुलना मत करो तुम !!
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ज़िंदगी में बहुत बड़ा बनने की तमन्ना थी उसकी !
संतान की आदतों ने ध्वस्त कर दिए मंसूबे सब !!
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इस जहां में आख़िर मैं किसको बनाऊं अपना !
जो अपना है उसी की हरकत परायों जैसी है !!
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हमें देवी देवताओं के दर्शन की फ़िक्र नहीं रहती कभी !
मेरा वसूल है ज़रूरत में गरीबों के के काम आया करूं !!
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भौतिकता की चकाचौंध में उसकी नज़र तो जिस्म से खेलने की है !
बहन बेटियों की इज़्ज़त का ख़्याल ही अब कहां है उसको !!
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जीते जी बाप को जिसने गाय का दूध तक पिलाया नहीं !
मरने के बाद वही बेटा गऊ दान की बात करता है !!
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आख़िर हम कैसे गोवा व काठमांडू जाएंगे पिकनिक मनाने !
हमें तो घर की जिम्मेदारियों से कभी फुर्सत ही नहीं मिलती !!
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तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु कवि व मंच संचालक अंबेडकरनगर ! मोबाइल नंबर - 9450489518
जो अपना है उसी की हरकत परायों जैसी है :--- कवि तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु
• डॉ पंकज कुमार सोनी