साहित्य:-कोमल नाजुक की रोमानी ग़ज़ल



वस्ल   की  रात  में  वो  जगाते रहे !
आमने      सामने    मुस्कुराते    रहे !!



 



एक दीपक  जो कोने में जलता रहा !
वो   बुझाते   रहे   हम  जलाते   रहे !!



 



नींद  आती  नही  जब  मुझे  रात में !
थपकियों   से   हमे  वो  सुलाते  रहे !!



 



ज़ुल्फ़ में उँगलियाँ यूँ  घुमाकरके  वो !
मेरे   हाथों   का   कंगन   घुमाते रहे !!



 



उनके होठों की नाज़ुक हँसी देखकर !
हम   ग़ज़ल  रातभर  गुनगुनाते  रहे !!


कोमल नाजुक , रायबरेली यूपी



 


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